बिहार चुनाव 2025: बेरोजगारी, गठबंधन की लड़ाई और जनता के असली मुद्दे

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परिचय: बिहार की राजनीति की वर्तमान स्थिति (2025)

बिहार की राजनीति एक बार फिर से उथल-पुथल के दौर में प्रवेश कर चुकी है। 2025 के विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं और राज्य में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। एक ओर सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) — जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP), जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) शामिल हैं — अपनी सत्ता बचाने की कोशिश में है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन — जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस, और वाम दल शामिल हैं — सत्ता हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

इस बार के चुनाव की खास बात यह है कि दोनों प्रमुख गठबंधनों के भीतर अंदरूनी मतभेद और सीट बंटवारे को लेकर खींचतान सामने आ रही है। गठबंधनों में दरारें और छोटे दलों की उपेक्षा राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ा रही हैं।

राज्य में बेरोजगारी, शिक्षा, बुनियादी सुविधाएं, और जातिगत संतुलन जैसे पारंपरिक मुद्दों के साथ-साथ अब मतदाता सूची में अनियमितता और राजनीतिक भरोसे की कमी जैसे विषय भी जोर पकड़ रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जोड़ी एक बार फिर साथ चुनावी मैदान में है, वहीं विपक्ष के चेहरे तेजस्वी यादव जनता को एक नया विकल्प देने का प्रयास कर रहे हैं।

यह चुनाव न केवल सत्ता के लिए, बल्कि भविष्य के बिहार की दिशा तय करने वाला चुनाव बनता दिख रहा है — जहां युवाओं की उम्मीदें, दलों की नीतियां और गठबंधन की राजनीति एक निर्णायक भूमिका निभाने वाली है।

1. Rashtriya Janata Dal (RJD) ने 143 उम्मीदवारों की सूची जारी की

खबर: RJD ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 143 सीटों पर उम्मीदवारों की सूची जारी की है, जिसमें 24 महिलाएं शामिल हैं। साथ ही, इस गठबंधन में Indian National Congress (61 सीटें) और CPI(ML) (20 सीटें) शामिल होंगे। लेकिन कांग्रेस–RJD के बीच कुछ सीटों पर टकराव की स्थिति बनी है।
विश्लेषण:

  • RJD ने अपनी तैयारी अच्छे से शुरू कर दी है महिला उम्मीदवारों को शामिल करके — यह दिशा बदलते जन मत और सामाजिक धाराओं का संकेत है।
  • गठबंधन के अंदर सीट बंटवारे को लेकर मतभेद सामने आ रहे हैं — यह विपक्ष को अपनी मज़बूती दिखाने का अवसर कम कर सकता है।
  • ब्लॉग में इस पहलू को “महिला प्रतिनिधित्व” और “गठबंधन में चुटकियाँ” जैसे शीर्षकों से उठाया जा सकता है।

2. नामांकन प्रक्रिया पूरी, लेकिन गठबंधन में दरारें उभर रहीं

खबर: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे और अंतिम चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया समाप्त हो गई है। लेकिन विरोधी गठबंधन (महागठबंधन) के दलों में गंभीर मतभेद सामने आए हैं।
विश्लेषण:

  • चुनावी प्रक्रिया के आगे बढ़ते ही गठबंधन में खींचतान उजागर हो रही है — यह विपक्ष की छवि के लिए चैलेंज हो सकती है।
  • नामांकन के अंतिम दिन जो घटनाएं हुईं, वे जनता के बीच इस गठबंधन की विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकती हैं।
  • ब्लॉग में “नामांकन से पहले गठबंधन का फुटना?” जैसे विषय को उठाया जा सकता है।

3. Jharkhand Mukti Morcha (JMM) ने चुनाव से खुद को अलग किया

खबर: JMM, जिसे Hemant Soren लीड करते हैं, ने बिहार चुनाव से पीछे हटने का فیصلہ किया है — उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस–RJD ने उन्हें गठबंधन में सीट नहीं दी।
विश्लेषण:

  • छोटे दलों की नाराज़गी से यह संकेत मिलता है कि बड़े दलों का दबदबा गठबंधन में बढ़ रहा है।
  • JMM की यह प्रतिक्रिया विपक्षी गठबंधन के बाहर से आती है — ब्लॉग में इसे “गठबंधन के किनारों पर खींचतान” के रूप में दिखाया जा सकता है।
  • यह भी चर्चा का विषय हो सकता है कि भविष्य में अन्य छोटे दल क्या रणनीति अपनाएंगे।

4. National Democratic Alliance (NDA) के अंदर सीट‑बंटवारे की जटिलता

खबर: NDA में इस बार सीट‑बंटवारे को लेकर तनाव देखा जा रहा है — Janata Dal (United) (JD(U)) और Bharatiya Janata Party (BJP) को 101‑101 सीटें दी गई हैं, जबकि Lok Janshakti Party (Ram Vilas) (LJP(RV)) को 29 सीटें मिली हैं।
विश्लेषण:

  • NDA के अंदर संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है — इसमें मुख्य धारा के दोनों दलों (JD(U) और BJP) के बीच “किसका उत्थान?” का सवाल है।
  • LJP(RV) का भी अपना दबाव है — ब्लॉग में इसे “सहयोगी दलों का दबाव और चैलेंज” शीर्षक से लिखा जा सकता है।
  • सीट‑बंटवारे का असर चुनावी मोर्चे पर कैसा रहेगा — इस पर भी विचार करना उपयोगी होगा।

5. मुख्य मुद्दे: बेरोजगारी, भरोसे की कमी और विरोधी मोर्चा

खबर: Reuters की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में बेरोजगारी और मतदाता सूची में विवाद जैसे मुद्दे सत्ता पक्ष के लिए जोखिम बने हुए हैं।
विश्लेषण:

  • युवाओं में बेरोजगारी की समस्या बढ़ती जा रही है — यह विपक्ष का महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बन सकती है।
  • मतदाता सूची में विस्थापन और भरोसे की कमी जैसे संवेदनशील विषय हैं — ब्लॉग में “विश्वास की कमी और राजनीतिक असर” के अंतर्गत यह उठाया जा सकता है।
  • यह चुनाव सिर्फ सीट‑जगत का नहीं, सामाजिक‑आर्थिक प्रश्नों का भी हो गया है।

6. चुनाव प्रचार का बिगुल बजा — Narendra Modi तय करेंगे शुरुआत

खबर: NDA ने बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार की शुरुआत कर दी है — प्रधानमंत्री मोदी 24 अक्टूबर को राज्य में दो बड़े रैलियों को संबोधित करेंगे।

विश्लेषण:

  • बड़े नेताओं की रैलियाँ चुनावी माहौल को और गरम कर देती हैं — ब्लॉग में “रैली का महत्त्व” पर चर्चा की जा सकती है।
  • प्रचार की शुरुआत तथा समय‑सीमा को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि यह चुनावी रणनीति का हिस्सा है।
  • लेख में “क्या मोदी की यह रैली राज्य की दिशा तय करेगी?” जैसे प्रश्न उठाए जा सकते हैं।

महागठबंधन (Opposition Front)

मुख्य दल:

  • राष्ट्रीय जनता दल (RJD) – तेजस्वी यादव के नेतृत्व में
  • कांग्रेस (INC)
  • CPI (ML), CPI, CPI(M) — वाम दल

स्थिति और रणनीति:
महागठबंधन इस चुनाव में भाजपा और नीतीश कुमार सरकार को सत्ता से बाहर करने के लक्ष्य के साथ मैदान में है। तेजस्वी यादव बेरोजगारी, शिक्षा और भ्रष्टाचार के मुद्दों को मुख्य चुनावी हथियार बना रहे हैं। उन्होंने युवाओं को लक्षित करते हुए “नई सोच, नया बिहार” जैसे नारों के जरिए बदलाव की हवा बनाने की कोशिश की है।

मुख्य चुनौतियाँ:

  1. सीट बंटवारे पर विवाद – कांग्रेस और RJD के बीच कई सीटों पर सहमति न बन पाने से सार्वजनिक मतभेद हुए हैं।
  2. छोटे दलों की नाराजगी – झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) जैसे सहयोगी दलों ने खुद को गठबंधन से अलग कर लिया है, जिससे विपक्षी एकता को झटका लगा है।
  3. तेजस्वी यादव की विश्वसनीयता – RJD की पिछली सरकारों की विरासत आज भी लोगों की स्मृति में है; युवा नेतृत्व पर भरोसा बनाना उनके लिए चुनौती बना हुआ है।
  4. संगठित प्रचार की कमी – NDA की तुलना में महागठबंधन का प्रचार अभियान अब तक बिखरा‑सा दिखा है।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA – Ruling Alliance)

मुख्य दल:

  • भारतीय जनता पार्टी (BJP)
  • जनता दल (यूनाइटेड) – JDU
  • लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) – LJP (RV)

स्थिति और रणनीति:
NDA के पास सत्ता में होने का फायदा है। नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की जोड़ी फिर से राज्य में “विकास और स्थिरता” के मुद्दों को लेकर चुनावी मैदान में उतरी है। बड़े पैमाने पर जनसभाएं, डिजिटल प्रचार और योजनाओं की घोषणाएं इसके प्रमुख हथियार हैं।

मुख्य चुनौतियाँ:

  1. सीट बंटवारे पर तनाव – BJP और JDU को बराबर सीटें देने पर दोनों दलों में असहमति की अटकलें हैं।
  2. LJP(RV) और JDU में तनातनी – चिराग पासवान का नीतीश कुमार पर सीधा हमला NDA के अंदर सामंजस्य की कमी को उजागर करता है।
  3. जन असंतोष और बेरोजगारी – राज्य में युवाओं के बीच बेरोजगारी को लेकर असंतोष है, जो सत्ता विरोधी लहर पैदा कर सकता है।
  4. थकान का फैक्टर – लंबे समय से सत्ता में रहने के कारण जनता में बदलाव की चाह बढ़ रही है।

बेरोजगारी — युवाओं की सबसे बड़ी चिंता

बिहार लंबे समय से बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है। 2025 में यह मुद्दा पहले से कहीं अधिक तीखा हो गया है:

विपक्ष ने इस मुद्दे को अपनी चुनावी मुहिम का प्रमुख हिस्सा बनाया है, जबकि सत्ताधारी पक्ष सरकारी नौकरियों में नियुक्तियों और योजनाओं का हवाला दे रहा है।

राज्य में उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं के पास नौकरी के अवसर नहीं हैं।

बड़े पैमाने पर युवा माइग्रेशन कर रहे हैं — दिल्ली, पंजाब, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में काम की तलाश।

ब्लॉग पॉइंट: “क्या बिहार का युवा फिर से पलायन करेगा या रोजगार यहीं मिलेगा?

मतदाता सूची और विश्वसनीयता का संकट

2025 में कई क्षेत्रों में मतदाता सूची में विसंगतियों की शिकायतें सामने आई हैं:

  • हजारों मतदाताओं के नाम सूची से गायब होने की खबरें।
  • विपक्ष ने इसे राजनीतिक साजिश कहा है और स्वतंत्र जांच की मांग की है।
  • यह मुद्दा सीधे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है।

ब्लॉग पॉइंट: “जब वोटर ही सूची से बाहर हो जाए — लोकतंत्र पर संकट?”

महिला प्रतिनिधित्व — संख्या में वृद्धि, लेकिन क्या प्रभाव में भी?

RJD और कांग्रेस जैसे दलों ने इस बार ज्यादा महिलाओं को टिकट दिए हैं — RJD ने 143 उम्मीदवारों में से 24 महिलाएं उतारी हैं:

  • यह राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिहाज से सकारात्मक संकेत है।
  • लेकिन सवाल ये है कि क्या इन महिलाओं को वास्तविक नेतृत्व मिलेगा या वे सिर्फ प्रतीक होंगी?
  • महिला मतदाता भी अब जागरूक हैं और विकास, सुरक्षा, शिक्षा जैसे मुद्दों पर सवाल कर रही हैं।

ब्लॉग पॉइंट: “क्या महिला उम्मीदवार सिर्फ ‘संख्या’ हैं या नेतृत्व की नई लहर?”

गठबंधन में दरारें — अंदर की खींचतान बाहर आ रही है

2025 के चुनाव में दोनों प्रमुख गठबंधनों — महागठबंधन और NDA — के भीतर दरारें खुलकर सामने आई हैं:

महागठबंधन:

  • कांग्रेस और RJD के बीच सीट शेयरिंग पर खुला विवाद।
  • JMM जैसे सहयोगियों की नाराजगी और अलगाव।

NDA:

  • JDU और LJP(RV) के बीच पुराना टकराव फिर उभर रहा है।
  • BJP और JDU के बीच तालमेल में भी दरारों के संकेत।

ब्लॉग पॉइंट: “क्या गठबंधन जीत से पहले ही टूट रहे हैं?”

अतिरिक्त मुद्दे जो ध्यान देने योग्य हैं:

  • जातीय समीकरण और सामाजिक न्याय: अभी भी चुनावों में जातीय गणित एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, खासकर बिहार जैसे राज्य में।
  • शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ: राज्य में बुनियादी सेवाओं की स्थिति अब भी गंभीर है, खासकर ग्रामीण इलाकों में।
  • कानून व्यवस्था: अपराध, महिलाओं की सुरक्षा और भ्रष्टाचार जैसे विषय चुनावी रैलियों में गूंज रहे हैं।

निष्कर्ष:

बिहार का यह चुनाव न सिर्फ सत्ता परिवर्तन की संभावनाओं से जुड़ा है, बल्कि ये कुछ बुनियादी सवाल उठाता है — क्या जनता को सिर्फ भाषण चाहिए या समाधान? क्या राजनीतिक दलों के गठजोड़ स्थायी हैं या केवल चुनावी जुगाड़? यह तय अब मतदाता करेंगे।

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